बीत जाएगा जल्दी पहर
बीत जाएगा जल्दी पहर
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जब आ ही गए हो तुम दर,
पल दो पल जाओ तो ठहर।
घड़ी दो घड़ी की बात है,
बीत जाएगा जल्दी पहर।
हो जाओगे नजरों से दूर,
सुदूर होगा तेरा शहर।
सह ना पाएंगे हम सितम,
मत ढाओ तुम ऐसा कहर।
नासूर हुए गहरे ज़ख्म,
अमिट होगा छोड़ा असर।
छोड़ा दिया है हाथ अधर,
तुम बिना है अधूरा सफर।
दिल के हाथों हो मजबूर,
नजर न आएंगे अब नगर।
मनसीरत बिखरे अरमान,
डगमगाने लगी हैं डगर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)