बीत गए दिन सुख -दुख में
बीत गए दिन सुख-दुःख में,
पास रह गई यादें खट्टी-मीठी ।
गत बर्ष को कर चले विदा, स्वागत है नव बर्ष का ।।
शायद मेरी वज़ह से दिल दुःखा है किसी का,
शायद मेरी वज़ह से ख़ुशी मिली है किसी को ।
सुखः-दुःख चलता रहता है यह नियम प्रकृति का ।
एक मना रहा ख़ुशी ,दूसरा दुःखी उसी कारण से ।
करते हैं संघर्ष ही दोनों, हार व जीतने वाला ।
एक के माथे सेहरा जीत का, लिए मायूसी दूजा बैठा ।।
वक़्त ने सबका साथ दिया,
कोई ख़ुशी रहा कोई दुःख में जिया ।
करके सलाम यूँ रहनुमा को,
“आघात” साल ये गुज़र गया इसको कैसे मैं याद करूँ ।
मैं नए साल का जश्न मनाऊँ,
फ़िर बहुरे दिन कैसे भूलूँ ।।
आर एस बौद्ध”आघात”
अलीगढ़