बीते कल की यादें
अब झूठी कसमें खातें हैं लोग और झूठे होते
वादे हैं।
तोल- मोल आया ही नहीं ,हम रिश्तों में सीधे-
सादे हैं।
मेरे जेहन में घूमती यादें दिल को सुकूँ दे जातीं हैं,
बस इन्हें संजोकर कर रखना है ,ये बीते कल की
यादें हैं ।
दिन को नींद आती ही कहाँ है , रातों की कहाँ
मियादें हैं।
तूँ भी तो बतला दे मुझको , क्या- क्या तेरे
इरादे हैं।
भूली बिसरी यादों में ही तो , हम अब बचे
शहजादे हैं।
बस इन्हें संजोकर कर रखना है ,ये बीते कल की
यादें हैं ।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी