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13 Nov 2019 · 1 min read

*”बीता बचपन आ गया पचपन”*

” बीता बचपन आ गया पचपन “
बगीचे में बैठे ठंडी हवाओं का झोंका लेते हुए,
गुनगुनी धूप में बचपन का पिटारा निकाला था।
सुहानी यादों को संजोये तस्वीरों को सांझा करते हुए,
फिर से निहारते नई पीढ़ी में समेटे उकेर लिया था।
खट्टी मीठी बातों के संग गुदगुदाती यादें ताजा करते हुए,
भाई बहनों संग दिन महीनों सालों तक सम्हालते हुए गुजारा था।
शिकवे शिकायतों का दौर गुनगुनाते हुए,
बीते हुए लम्हों में रंगीन पड़ावों का सफर सुहाना था।
सुनहरी यादों के सहारे हसीन लम्हों को लिए हुए,
ना जाने क्यों बचपन के खेल खिलौनें घरौंदे अच्छे लगते थे।
अब परिपक्व हो दोस्ती यारी सुहाने पलों का तराना लिए हुए,
बीता बचपन आ गया पचपन पाँव जरा सा लड़खड़ाया था।
यादें ताजा सुहानी लड़कपन की फरियाद करते हुए,
काश.! फिर से लौट आये बचपन जैसे अभी पचपन में बच्चों का जमाना था।
तू – तू ,मैं -मैं हो जाती कुछ पलों में अलग होते हुए,
फिर मम्मी पापा ने आकर प्रेम से समझाया करते थे।
होली ,दीवाली, रक्षाबन्धन पर भाई बहनों के संग लिए हुए,
भले ही गिनती में एक या दो नही पाँच भाई बहनों का संग निराला था।
कमी किसी चीजों की नहीं भरपूर आनंद सहयोग लिए हुए,
आदर्श परिवार पूरा परिवार भंडार गृह का खजाना था।
बचपन की वो सुहानी यादें ताजा आधी उम्र लिए हुए,
काश…! अब फिर से लौट आये बचपन जैसे पचपन से बचपन की ओर चले थे ..
शशिकला व्यास

Language: Hindi
1 Like · 261 Views
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