“बिहार में शैक्षिक नवाचार”
“बिहार में शैक्षिक नवाचार”
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देखो , यह निज प्राचीन बिहार है;
यहां प्रतिभा ही, सदा हथियार है।
कई महापुरुष यहीं के,अवतार है;
विध्वंश चैतन्य केंद्र की भरमार है।
सदा यहां, शिक्षा केंद्र पर प्रहार है;
न बचा , प्राचीन शैक्षिक संसार है।
अब दिखे न कोई, बौद्ध विहार है;
दोषी सिर्फ,खिलजी बख्तियार है।
समय बदलता सदा ही बारंबार है;
फिर बना,यह आधुनिक बिहार है।
अब सब चाहे,शैक्षिक नवाचार है;
गुरु कष्ट में , बाधक बने कुमार है।
शिक्षक रक्षक, पर खुद लाचार है;
शैक्षिक नीति बनते , पर बेकार है।
शिक्षा के साथ, यहां अत्याचार है;
यही तो, निज आधुनिक बिहार है।
यहां शिक्षक को नित्य नई टेंशन है,
किसी को, नही अब कोई पेंशन है।
नियोजित, हर शिक्षक का नाम है;
सबको मिलते,नकली वेतनमान है।
नही यहां,अब कोई भी इमोशन है;
किसी शिक्षक को,नहीं प्रमोशन है।
बच्चों का, सिर्फ शैक्षिक शोषण है;
‘छात्रवृत्ति’, राजनीतिक पोषण है।
सरकार बनी है यहां, सुशासन की;
पर, चिंता सताये निज आसन की।
मूर्खों को भी , कुर्सी की दरकार है;
सभी, पीएम-सीएम का अवतार है।
शिक्षक भूखा, और शिक्षा बेकार है;
बच्चे उदंड, शिक्षक में शिष्टाचार है।
फिर भी शिक्षक का,उच्च विचार है;
यही आज का, शैक्षिक नवाचार है।
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स्वरचित सह मौलिक;
……✍️पंकज कर्ण
…..कटिहार(बिहार)