बिहार में डॉ अम्बेडकर का आगमन : MUSAFIR BAITHA
बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर पहली और अंतिम बार 6 नवम्बर, 1951 को बिहार, पटना आए थे। वे पत्नी सविता अम्बेडकर के साथ थे, और अगले दिन लौट गए।
बिहार में पिछड़ा वर्ग आंदोलन के प्रवर्तक/पुरस्कर्ता थे आर एल चंदापुरी।
चंदापुरी को ही डॉ आंबेडकर को पहली और अंतिम बार बिहार की धरती पर बुलवाने का गौरव और एतिहासिक श्रेय प्राप्त है।
वे आर एल चंदापुरी की अगुआई में ‘शोषित जनसंघ एवं पिछड़ा वर्ग संघ द्वारा नगर के प्रसिद्ध गाँधी मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करने पहुँचे थे।
देर शाम का वक्त था। जैसे ही बाबा साहेब को मंच से संबोधित करने के लिए चंदापुरी ने आवाज़ दी, बिजली गुम कर दी गयी और मंच पर ईंट पत्थर फेंके जाने लगे, बाबा साहेब को अपनी ओट देकर बचाने के क्रम में चंदापुरी ने भीड़ से फेंकी गई पत्थर से अपनी एक आंख के पास गहरी चोट भी खाई।
यह रिपोर्ट बताती है कि इस षड्यंत्र भरे आक्रमण में कांग्रेस के उच्च जातियों के गुंडों के साथ तत्कालीन बिहार सरकार का एक दलित मंत्री का भी हाथ था।