बिसरे पन्ने और हम
बिसरे पन्ने और हम
भूले बिसरे पन्ने से
अचानक से किसी का झाँकना,
यादों के बादल में घिर
किसी का तारे सा टिम टीमाना,
काश कुछ यूँ सहर हो
और हो जाए हमारा आमना सामना,
धूल झाड़ वक़्त की
तुम भी थोड़ा मुस्कुराना……
समझ जाना की बात तुम्हारी ही है
बस थोड़ा सा याद कर हमें मंद सा मुस्कुराना।।।।