बिल लाए हटाए जा सकेंगे ! किसान ना बनाए जा सकेंगे!!
ऐसा क्या मांग लिया किसान ने, जो सरकार के पास नहीं,
और ऐसा क्या दे रही सरकार, किसान को जिसकी चाह नहीं,
दोनों हैं जीद पर अडे हुए,मिल रही सुलह की राह नहीं,
एक ओर राज हठ है, तो दूसरी ओर किसान की रट है,
बनेगी बात ऐसे में कैसे,बद जुबानियों का अलग से झंझट है,
माना कि किसान बहुत नाराज़ हैरान, किंतु उसकी निष्ठा पर सवाल उठाना कितना जायज है!!
कभी हिन्दू और कभी मुसलमान, तो कभी चीन,पाकिस्तान,
कभी दंगाई और उपद्रवी, और कभी हो रहा है खालिस्तान,
क्या यही होकर रह गई है, आन्दोलितों की पहचान,
मत खेलो इनके जज्बातों से,ना छोड़ो कोई ऐसा निसान,
खुशी से तो कोई आता नहीं सड़कों पर, रहा होगा कुछ तो परेशान
ना ही आप सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी है, और ना ही वह निपट नादान,
बिल तो फिर भी लाए हटाए जा सकेंगे,बनाए ना जा सकेंगे किसान!!