बिन मां के ऐसे लगे, मंदिर बिन भगवान
चूल्हा, चौका, और घर, खेत और खलिहान
बिन मां के ऐसे लगे, मंदिर बिन भगवान
पहली रोटी गाय की, पहला ठाकुर भोज
फिर घी शक्कर डाल माँ, भोजन देती रोज
मंदिर, पूजा आरती, तुलसी शालिग्राम
गैया को भी है कहाँ, बिन माँ के आराम
कभी दुलारे प्यार से, कभी आँख दिखलाय
पर बेटे को देख माँ, फूली नही समाय
माँ गंगा, माँ शारदा, माँ भारत सुखधाम
गायत्री, गैया मैया, सबको करो प्रणाम