Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Nov 2017 · 1 min read

बिन माँ इस सृष्टि का वजूद नही

नौ माह कोख में रख पाला था माँ ने
गिर कर राह में मुझे सम्भाला था माँ ने
नही थी आरज़ू कुछ भी माँ की
आँखों का तारा मुझे अपनी माना था माँ ने

सारे दुःख दर्द माँ ही सह जाती थी
मुसीबत आने पर स्वयं पहाड़ बन अड़ जाती थी
सारी परेशानी माँ से ही डर जाती थी
हंसी मेरे चेहरे में माँ ही दे जाती थी

मैंने जब भी देखा माँ को
त्याग की मूर्ति बनते देखा है
नाजाने कितने कष्ट सहे है
इस धरा पर माँ को इश्वर ने भेजा है

माँ के अनेकों रूप है इस धरा में
माँ ही तो इस धरा का सुंदर उपहार है
बिन माँ इस सृष्टि का वजूद नही
माँ है जब तभी तो समस्त संसार है

भूपेंद्र रावत
28/11/2017

Language: Hindi
1 Like · 347 Views

You may also like these posts

*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
(गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में) वेदों,उपनिषदों और श्रीमद्भगवद्गीता में 'ओम्' की अवधारणा (On the occasion of Geeta Jayanti Mahotsav) Concept of 'Om' in Vedas, Upanishads and Srimad Bhagavad Gita)
(गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में) वेदों,उपनिषदों और श्रीमद्भगवद्गीता में 'ओम्' की अवधारणा (On the occasion of Geeta Jayanti Mahotsav) Concept of 'Om' in Vedas, Upanishads and Srimad Bhagavad Gita)
Acharya Shilak Ram
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
sushil yadav
बचपन
बचपन
Phool gufran
संवेदना मंत्र
संवेदना मंत्र
Rajesh Kumar Kaurav
गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने।
गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने।
पंकज परिंदा
जिंदगी है तुझसे
जिंदगी है तुझसे
Mamta Rani
सब्र का बांँध यदि टूट गया
सब्र का बांँध यदि टूट गया
Buddha Prakash
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दम तोड़ते अहसास।
दम तोड़ते अहसास।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
Sanjay ' शून्य'
खुश रहने की वजह
खुश रहने की वजह
Sudhir srivastava
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
Krishna Manshi
अपनो से भी कोई डरता है
अपनो से भी कोई डरता है
Mahender Singh
दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए
दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए
VINOD CHAUHAN
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वाभाविक
स्वाभाविक
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जाने बचपन
जाने बचपन
Punam Pande
* अध्यापक *
* अध्यापक *
surenderpal vaidya
असंभव को संभव बना दूंगा
असंभव को संभव बना दूंगा
Rj Anand Prajapati
नारी की स्वतंत्रता
नारी की स्वतंत्रता
SURYA PRAKASH SHARMA
नैन खोल मेरी हाल देख मैया
नैन खोल मेरी हाल देख मैया
Basant Bhagawan Roy
हमारा ये जीवन भी एक अथाह समंदर है,
हमारा ये जीवन भी एक अथाह समंदर है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
🙏 माता रानी की वंदना 🙏
🙏 माता रानी की वंदना 🙏
umesh mehra
"PERSONAL VISION”
DrLakshman Jha Parimal
अबकी बार निपटा दो,
अबकी बार निपटा दो,
शेखर सिंह
4822.*पूर्णिका*
4822.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हंस भेस में आजकल,
हंस भेस में आजकल,
sushil sarna
■ आज का शेर-
■ आज का शेर-
*प्रणय*
Loading...