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3 May 2024 · 1 min read

संवेदना मंत्र

यह शरीर संवेदन शीला।
भाव ग्रहण से नीला पीला।।
कटु वाणी से उपजे क्रोधा।
प्रेम स्नेह ज्यों मनहि प्रबोधा ।।

त्वचा स्पर्श जरा कहीं होई।
ज्ञान तन्त्र जाने सब कोई ।।
इक दूजे का कष्ट समझते ।
जीव संवेद शून्य न रहते ।।

अपनों की करते सब चिनता।
संवेदी तो सबकी गिनता ।।
पास पडोसी सकल समाजू।
कर सहयोग छोड़ सब काजू ।।

जो दूजे के आता कामा।
सज्जन पुरुष उसी का नामा।।
यह संवेदन मंत्र कहानी ।
सीमा रहित कहें सब ज्ञानी ।।

राजेश कौरव सुमित्र

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