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10 Feb 2018 · 1 min read

बिन बोले समझ ले तूँ मेरे जज़्बातों को

कैसे मैं कहूँ तुझसे
मेरे दिल की बातों को
बिन बोले समझ ले तूँ
मेरे जज़्बातों को

इज़हार मोहब्बत का
करने से हिचकते हैं
इनकार कहीं तेरा
मेरी जां ही ले बैठे।

चाहत तुझे पाने की
बेहद तो है अलबत्ता
डर तुझे खोने का
धड़कन ठहराता है।
– अटल©

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