बिन बोले समझ ले तूँ मेरे जज़्बातों को
कैसे मैं कहूँ तुझसे
मेरे दिल की बातों को
बिन बोले समझ ले तूँ
मेरे जज़्बातों को
इज़हार मोहब्बत का
करने से हिचकते हैं
इनकार कहीं तेरा
मेरी जां ही ले बैठे।
चाहत तुझे पाने की
बेहद तो है अलबत्ता
डर तुझे खोने का
धड़कन ठहराता है।
– अटल©