बिन तुम्हारे जिंदगी अधूरी सी है/मंदीप
बिन तुम्हारे जिंदगी अधूरि सी है/मंदीप
बिन तुम्हारे जिन्दगी अधुरी सी है,
बिन तुम्हारे कुछ कमी सी है।
ख़ुशी होती देख तुम्हे जिन आँखो को,
आज उन्ही आँखो में नमी सी है।
अटकी सी गई जिंदगी बिन तुम्हारे,
अब मेरी ही सासे मुझ से रूठी सी है।
तुम से बढ़ कर की मैने चाहत तुम्ही से,
फिर भी मेरी कहानी क्यों अधूरी सी है,
हो सके तो स्माल लेना हम को,
अब बिन तुम्हारे ये जिंदगी बिखरी सी है।
हुआ एहसास “मंदीप” को क्यों आज तुम्हारा,
लगता है आज पूर्वी हवा कुछ बदली सी है।
मंदीपसाई