बिना खड़क बिन ढाल
आजादी हमको मिली, बिना खड़ग बिन ढाल।
सुनकर मन में उठ रहा, मेरे एक सवाल।
मेरे एक सवाल, बुद्धि की खिड़की खोलो ।
लाखों हुए शहीद ,कहें क्या उन पर बोलो ।
बनें नहीं सब काम, पहन कर केवल खादी ।
सूली चढ़े अनेक, मिली थी तब आजादी।।
रमेश शर्मा