बिटिया है होती कोहिनूर का हीरा
बिटिया है होती कोहिनूर का हीरा
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बिटिया है होती कोहिनूर का हीरा
जाऊँ बलिहारी कोहिनूर का हीरा
भोली सी सूरत दिखती जैसे मूरत
दौलत है सारी कोहिनूर का हीरा
फूलों सी महके मेरे घर आंगन में
खिलती क्यारी कोहिनूर का हीरा
खिली कलियों से हैं रौनक बहारें
बहुत है दुलारी कोहिनूर का हीरा
मान मर्यादित रहे बापू की पगड़ी
होती संस्कारी कोहिनूर का हीरा
दुख सुख की सांझ करती रहती
चाहें हों बेचारी कोहिनूर का हीरा
बेटों की चाहत में घुटती हैं मरती
बहुत सदाचारी कोहिनूर का हीरा
दोनों घरों में समझी जाएं पराई
भाग्य की मारी कोहिनूर का हीरा
जाने कैसी मिट्टी से बनाई जाती
प्रेम की पटारी कोहिनूर का हीरा
दिनों में ही कंधों से पार हो जाती
बड़ी है सत्कारी कोहिनूर का हीरा
डोली में बैठा बाबुल करे विदाई
मनवा हो भारी कोहिनूर का हीरा
सुखविंद्र बेटी बिना सदैव अधूरा
न जाएं दुत्कारी कोहिनूर का हीरा
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)