बिटिया!तुम संघर्षों से मत घबराना …..
विवाहिता आगमन, हुआ हर्ष अपार
क्षण भर की खुशियाँ, पड़ती तानाकसी की बौछार
बिटिया तेरा नव जीवन, नव साज श्रृंगार
नित नुतन जतन कर, महकाना जीवनसबका
सौ साजसमान दिया सौ उपहार दिया
दिया स्नेह अंचल भर , सीख
भोली चिरैया कितना उड़ना,
कैसे रहना ,कैसे समेटना ,घर संसार
पर ना सिखलाते प्रतिकार का प्रण
फिर भी दंश सुनती ” मां ने कुछ न सिखलाया”
रीत लिए बाबुल की पिए के घर को महकाना
बिटिया! तुम इन संघर्षों से मत घबराना
चाहे नर भरे हो नैनों में पल-पल तू मुस्काना
शापित शोषित संबंधित सौदागर क्षण भरना घबराना नन्ही चिरैया सी तू फुर्र फुर्र उड़ती जाना
व्यथित, विचलित, व्याकुल, विह्वल क्षण भर ना घबराना ,मनु दुर्गा गार्गी मैत्री की तू संतान
बिटिया !तू रण चंडी बन जाना
बिटिया! तुम इन संघर्षों से मत घबराना