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13 Jul 2021 · 1 min read

बिजली गिराने लगी

बिजली गिराने लगी (ग़ज़ल)
**** 222 212 212 ****
***********************

छम -छम बरसात आने लगी,
दिल में बिजली गिराने लगी।

जो गहरी नींद में सो गए,
अरमानों को जगाने लगी।

किस जग में खो गए थे सनम,
मन को यादें सताने लगी।

ऑंसू में बह गई लालसा,
तन को जड़ से हिलाने लगी।

मनसीरत ने लगया गले,
मीठी बातें बताने लगी।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 338 Views
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