बिजली कड़कै
शीर्षक ::बिजली कड़कै::
(वीरवार,06 अप्रैल 2023)
आंख्या म्ह नींद रड़ कै,
हाथ पाँ सर बी भड़कै।
पकी फसल पै बिजली कडकै,
कालजा हाल्ले दिल न्यू धड़कै ।।
दो दिन देदे मांगे उधारे,
कट ज्यावै दुख के दिन बी म्हारे।
उम्मीद सै लीली छतरी आळे,
छान घाल कै बणा ल्यां ढारे।।
मरे होए नै क्यूँ फेर तै मारै,
के मिल ज्यागा गेल्याँ पड़कै।
पकी फसल पै बिजली कडकै,
कालजा हाल्ले दिल न्यू धड़कै ।।
आफत ल्यादे चाहे आश बंधा दे,
दाना पाणी का तुक ब्यौन्त बणा दे।
थोड़े म्ह सब्र गुजारा कर ल्यां,
कद माँगया के हमनै घणा दे।।
“सुनील सैनी” माट्टी गेल माट्टी हो रे,
बख्त काट रे सैं मर पडकै।
पकी फसल पै बिजली कडकै,
कालजा हाल्ले दिल न्यू धड़कै ।।
-सुनील सैनी “सीना”
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द(हरियाणा)-१२६१०२.