बिछड़े यार
मेरा यार ये कहाँ चला ,
क्यों बिछड़ गया ये क्या हुआ।
न हम कहे न वो कहे ,
कैसा ये समां बंधा हुआ।
अपना साया बनाकर हमे जब तू चला,
क्यों छोड़ा है हमको क्यों ऐसा छला।
तेरे अहसासों को जिन्दा रखे हम कहाँ,
झूठे थे वादे तेरे मेरे दरमियाँ।
क्यों बिछड़ गया ये क्या हुआ…….
बिन तेरे अब हम खुश रहे कैसे,
बेनाम जिंदगी का दर्द अब कहे कैसे।
जिन्दा है अब भी तुझको पाने की चाह,
फिर भी ख़त्म न होंगी ये दूरियाँ।
क्यों बिछड़ गया ये क्या हुआ.……