बिछड़न [भाग ३]
जिस दिन तुम छोड़कर ,
चले गए थे हमें।
उस दिन पूरी तरह टूटकर
बिखर गई थी मैं ।
तुम ही थे मेरा हौसला।
तुम ही थे मेरी हिम्मत।
तुम से ही थी मेरी सारी खुशियाँ।
तुम ही थे मेरे लिए जन्नत।
जब तुम ही नही रहे इस जग मे ,
ये सब भी मेरा साथ छोड़कर चली गई।
रह गई सबसे बेगाना होकर
मैं अकेली इस जगह खड़ी।
आँसू ने भी कहाँ साथ निभाया मेरा,
कुछ दिनों बाद यह भी यहाँ से,
हौले-हौले कर निकल गई।
तनहाई जिससे मैं अक्सर
भागा करती थी।
आज मेरा साथ निभाने के लिए
बस यही एक रह गई।
तेरे जाने के बाद पता ही नही चला,
कब दिन बदली और कब रात बदल गई।
तेरे जाने के बाद बहुत
कुछ बदल गया,
पर मेरा जीवन आज भी
वहीं पर है ठहरी हुई खड़ी।
आज भी उसे है इंतजार तेरा,
इसलिए आज भी यह आँखे बिछाए
दरवाजे पर है देख रही।
क्या करूँ जानती हूँ कि,
तुम अब यहाँ नही आओगे।
पर यह नासमझ दिल है,
जो मेरी बात समझती नहीं।
आज भी वह बड़ी शिद्दत से
तेरा इन्तज़ार है कर रही ।
क्या कहूँ मेरी बात सुनती ही नही।
~अनामिका