“बिछड़े हुए चार साल”
“बिछड़े हुए चार साल”
चार साल पहले, एक ठंडे दिसंबर के दिन, मेरी ज़िन्दगी उस मोड़ पर चल रही थी जहाँ मैं खुद को सम्भल नहीं पा रहा था, जिस हादसे ने मुझे पूरी तरह बदल दिया, वह दिन और वह लम्हा आज भी मेरे दिल में गहरे घाव की तरह पड़ा हुआ है, तुम्हारे बिना जीने का ख्याल, तुम्हें जाने देने का दर्द, ऐसा था जैसे मैं अपनी रूह को किसी अजनबी के हवाले कर रहा हूँ, जब तुम मुझसे बिछड़ी, तो जैसे मेरी दुनिया ही ठहर गई थी, और हर पल मेरे लिए एक नए संघर्ष की तरह था, मेरी रातें कश्ती की तरह डगमगाने लगी थीं, और तुम्हारी यादें, जैसे मेरे दिल की गहराइयों में लगातार गूंजती रहती थीं, वो बेचैनी, वो उदासी, और वो अधूरापन, हर रोज़ मुझे अपने आप से जूझने को मजबूर करते थे,
तुमसे बिछड़ने के बाद, मुझे ऐसा महसूस होता था जैसे पूरी दुनिया की रफ्तार रुक सी गई हो, और मैं अकेला एक अँधेरे में कहीं गुम हो गया हूँ, तुम्हारी यादें मेरे साथ चलती थीं, मेरी हर एक सांस में समा जाती थीं, जैसे मैं तुम्हारे बिना जी ही नहीं सकता, वो दिन, वो रातें, वो बातें सब कुछ मेरे अंदर एक काले साए की तरह समा गया था, जिसे मैं किसी भी हाल में मिटा नहीं पा रहा था, हर एक याद, एक नई चोट की तरह मेरे भीतर गहरी हो जाती थी, कभी खुद से कहता था कि वक्त सब ठीक कर देगा, लेकिन उस दर्द ने कभी मुझे सुकून से जीने का मौका नहीं दिया, चार साल तक रोज़ तुम्हारा मेरे ख्वाबों में आना और उन ख्वाबों ने मूझे नींद से भी नफरत दिला दी,
आज, जब साल का अंत पास आया तो फ़िर तुम्हारा ख्याल आया और फ़िर वही पुरानी यादें फिर से मेरे दिल में हलचल मचाने लगी, मगर कभी-कभी उन यादों का बोझ इतना भारी हो जाता है कि लगता है मैं अब और सहन नहीं कर पाऊँगा, तुम्हारे साथ बिताए वो पल, तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारी बातें, तुम्हारा गुस्सा और तुम्हारा प्यार, अब वो सब एक गहरे दर्द में बदल गए हैं, और वो दर्द मेरे अंदर हर दिन मुझसे मेरी ताकत छीन लेता है, लेकिन फिर भी, इस दर्द को मैं अपनी ताकत बनाने की कोशिश कर रहा हूँ यूँ कहो तो अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा हूँ,
मैं जानता हूँ कि कुछ यादों को छोड़ देना जरूरी होता है, वरना वही यादें हमें हमेशा अपने कब्जे में रखती हैं, वे हमें परेशान करती हैं, हमें पीछे खींचती हैं और हमारी ज़िन्दगी को बेचैन कर देती हैं, अब मैं अपनी ज़िन्दगी को वापस हासिल करने की कोशिश कर रहा हूँ, और तुम्हारी यादों को अपने दिल से निकालकर एक नए सफर की ओर बढ़ रहा हूँ, तुम्हारे बिना जीने की आदत डाल चूका हूँ, तुम्हारी यादों के बिना मैं अब अपनी ज़िन्दगी जीने की चाहत रखता हूँ,
अब मैं तुमसे मुलाकात की ख्वाहिश नहीं रखता, और न ही तुम्हें देखना चाहता हूँ, अगर हमारी मुलाकात का कोई इत्तेफाक हुआ, तो मैं वह रास्ता बदलना बेहतर समझूँगा, मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी ज़िन्दगी में खुश रहो, जहाँ भी हो, जिस किसी के साथ हो, मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं अपनी राहों पर बिना तुम्हारी यादों का बोझ लिए चलना चाहता हूँ, क्योंकि मेरी ज़िन्दगी अब अपने नए रंगों में ढलने को तैयार है, मैं देखना चाहता हूँ दुनियां अब तुम्हारे बगैर, अब मैं अपनी ज़िन्दगी को उस दुनिया में जीना चाहता हूँ जहाँ तुम नहीं हो, उस दुनिया में, जहाँ ना तुम्हारा नाम हो, ना तुम्हारी यादें, मैं अब अकेला हूं, लेकिन अपने पैरों पर खड़ा होकर अपनी जिंदगी को फिर से जीने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन हाँ हमारे इश्क़ को मैंने अपनी आने वाली किताब “The Stories We Live” में संभाल कर रख दिया है, वह किताब जिसमें हम दोनों हैं, हमारा इश्क़ है, समंदर से ज़मीन को जोड़ती हुई वो मोहब्बत है और वो दुनियां है जिसकी ख्वाब हमने साथ देखी थे, अब वह सफर मैंने अकेले तय कर लिया है, लेकिन कुछ ख्वाब हमेशा मेरे दिल में रहेंगें,
आज मैं तुम्हें आज़ाद करता हूँ। या यूँ कहो, खुद को तुम्हारी यादों के बोझ से आज़ाद कर रहा हूँ, और हाँ, नया साल मुबारक हो एक नया साल, नई उम्मीदों के साथ, जिसमें मैं अपनी ज़िन्दगी को फिर से ढालने की कोशिश करूँगा..।
अब मैं तुम्हें आज़ाद करता हूँ, या यूँ कहो खुद को तुम्हारी यादों के बोझ से आज़ाद करता हूँ!
“लोहित टम्टा”