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24 Jan 2021 · 1 min read

बिगड़ा भाईचारा

******* बिगड़ा भाईचारा ********
*****************************

भाईचारे ने बिगाड़ा काम सारा,
अपनी अपनी डफली बजे राग न्यारा।

टांग अड़ाने की हो ती है लत पुरानी,
हर कोई चाहे हो जाए बंटवारा।

चुगलखोरों की बन जाती है टोली,
चुगली,निंदा से न कभी काम संवारा।

दोनों ही हाथों में रखते हैं लड्डू,
दूसरो को जहर प्याला पिला के मारा।

मनगढ़ंत बातों में रहते फंसाते,
झूठी दलीलों का लेते हैं सहारा।

एक हांडी में पकते नही दो पकवान,
जलते चुल्हे दूसरों के नहीं गवारा।

उलझे हुए चाहते ओरों को सुलझाना,
हार कर मानते न कभी खुद को हारा।

एहसानों के बोझ तले रहते हैं दबाते,
ढ़ोंगी ढोंग कर के लेते हैं खूब नजारा।

समाज प्रतिनिधि होते मन के दोगले,
दोहरी राजनीति कर न करें निपटारा।

मनसीरत व्यथित हो कर करे चिंतन,
भाईचारे, रिश्तेदारी में न कोई दुलारा।
*****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 363 Views
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