बिखरे हुए सपने हैं मेरे
बिखरे हुए सपने हैं मेरे,
गुमसुम सा दरिया है जहां,
अकेलेपन की ठंडी हवा है,
खुशियों भरी शांति है यहां!!
लगता है बदला किसी से है,
हर चीज़ यहां बेज़ार हो गई है,
रंगीन दिनों के बाद पतझड़ आया है,
आंखों के सामने यूं अँधेरा छाया है!!
ख़्वाब टूट गए, उम्मीदें बुझ गईं,
दिल उदास है, जीने की आस नहीं,
क्या करें इस उदासी के साथ,
कैसे जीवन का लहर उठाये रखें?
हार नहीं मानेंगे, अबाद रहेंगे,
जीने की ताकत को जूझाते रहेंगे!!
खुशियों के रंग फिर से छाये रखेंगे,
उदासी की ये रात भी गुजारे रखेंगे!!
मनायेंगे खुशी उदासी को थामकर,
प्यार के सातों रंग, सभी को रंगाकर,
फिर निकल आएगा उम्मीद का सूरज,
यूं बहारें बड़ी सादगी से मुस्काती है!!
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©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
बिलासपुर, छत्तीसगढ़