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18 Mar 2021 · 1 min read

बिखरे अल्फ़ाज़

***** बिखरे अल्फाज़****
**********************

बिखरे जिंदगी के अल्फ़ाज़,
सु लय बिना न बजते साज।

नील गगन में उड़ते हैं विहग,
नज़र कहीं आते नहीं बाज।

नजदीकियाँ हो गई गुमशुदा,
देख लिया है बहुत दूरदराज।

रोशनियाँ धुंधली हो रहीं हैं,
चारों तरफ छाया घना दाज।

कुर्सी दिखाती नित्य नए रंग,
हाथ नहीं आया कभी ताज।

दोषी सदा गिरफ्त से बाहर,
निर्दोषों पर है गिरती गाज।

बेशक कितना भी हो लाचार,
पति भार्या के होते सरताज।

उंगलियों पर रहती नचाती,
प्रेयसी के आसमानी नाज।

मनसीरत खतरनाक जवानी,
अठखेलियों से न आए बाज।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 206 Views
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