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26 Feb 2024 · 1 min read

– बिखरते सपने –

– बिखरते सपने –
आज के आधुनिक दौर में,
कुछ लोगो के सपने बिखर रहे है,
कुछ के सपने टूट रहे है,
कोई बनना चाहता था बड़ा अधिकारी,
पर उसकी इस इच्छा और मेहनत पर रिश्वत ने है कुंडली मारी,
रिश्वत रूपी सांप जो है,
व्यवस्था पर कुंडली मार रहा,
व्यवस्था हो गई भ्रष्ट आजकल अपने विष के प्रभाव से बतला रहा,
आधुनिकता इतनी हावी हो रही,
बूढ़े लोगों के सपनो को तोड़ रही ,
संस्कार को लील रही,
सभ्यता को दीमक लगा रही,
वो धीरे – धीरे अपने पैर पसार रही ,
आजकल की संस्कृति सपनो को है बिखेर रही,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
61 Views
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