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3 Aug 2016 · 1 min read

बाग़ को फिर आज महका दीजिये

बाग़ को फिर आज महका दीजिये
बिन पिलाये मीत बहका दीजिये ।।1

आग सावन ने लगाईं खूब जो
और इसको आज दहका दीजिये।।2

साज दिल के बज उठे हमदम सभी
चाल अपनी आज लहका दीजिये।।3

आशिकाना हो रहा मौसम गजब
हमनवां आँचल ही ढलका दीजिये।।4

एक तराना प्यार का गाकर जरा
हमसफ़र दिल को ही चहका दीजिये।।5

“दिनेश”

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