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14 Jun 2021 · 1 min read

बाल-श्रम का दाग़

क्या मजबूरी है लोगों की
जो करवाते नन्हें बालकों से काम
दाग़ बाल-श्रम है पढ़े लिखे समाज पर !

शर्म करो जो करवाते बाल-श्रम
पढ़ने की अपेक्षा करवाते उनसे काम
धिक्कार उनको जो करवाते जूठे बरतन साफ!

ऐसा क्या गुनाह किया छोटे बच्चों ने
जो पहुँचाते उन्हे दुख बाल-श्रम का
आया नहीं दयाभाव क्या इन नन्हे हाथो पर !

उम्र है उनकी पढ़-लिख कुछ बनने की
और मैदान पर खेल-कूद करने की
हँसते बचपन से क्यूँ लगा दिया बाल-श्रम का दाग़ !

जीवन सड़क पर गुजर गयी मजदूरी करते
पेट भरने की खातिर मजदूरी बन गई मजबूरी
ऐसा क्या गुनाह किया छोटे बच्चों ने
जो करवाते नन्हें बालकों से काम !
जो करवाते नन्हें हाथों से काम !!

: कुशाग्र
235-मॉडल टाउन, यमुनानगर (हरियाणा)
7015434460

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 258 Views
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