बाल वीर दिवस
सन् १७०४ई.में औरंगज़ेब ने गुरु गोविंद सिंह से युद्ध किया।
लड़ता रहा सात माह तक,किला नहीं था भेद सका।।
चालबाज मुगलों ने समझौते का प्रस्ताव दिया।
नहीं करेंगे परिवार को आहत, उसने ऐसा इजहार किया।।
समझौते आड़ में उसकी सेना ने, परिवार को गिरफ्तार किया।
दो छोटे साहिब जादों को, माता गुजरी सहित बंदी बना लिया।।
साहिब जादे जोरावर सिंह तब ९ बर्ष के थे।
साहिब जादे फतेह सिंह जी केबल ७ साल के थे।।
ढेरों लालच दिए थे उनको,अपना धर्म बदलने को।
इस्लाम कबूल करने पर,कह दिया जान बख्शने को।।
ढेरों यातनाएं दी उनको,पर वे धर्म पर अडिग रहे।
प्राण दे उन बहादुर वीरों ने, आख़री सांस तक सजग रहे।।
वजीर खान की कचहरी में,उन पर केश चलाया।
साम दाम और दण्ड भेद,कुछ भी काम न आया।।
बजीर खान ने उन दोनों वीरों को, मृत्यु दण्ड दिया।
दोनों वीर बालकों को, जिंदा दीबार में चुना दिया।।
इतनी छोटी उम्र में भी,न रोए न घवराए।
अपने धर्म पर अडिग रहे, वीरों ने प्राण चढ़ाए।।
पा गए अमर पद वीर, धर्म पर वे कुर्बान हुए।
शीश जाए पर धर्म न जाए, साहिब जादे सिखी शान हुए।।
श्री फतेहगढ़ साहिब में ,उनका शहीदी स्थान है।
भारत माता की माटी, और हमारी शान है।।
वाहे गुरुजी का खालसा,वाहे गुरुजी की फतह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी