बाल पहेली
बाल पहेली
(1)
एक जगह पर रहकर
सब को रोशन करता हूँ ,
कोई नही मुझ तक पहुँचा
मैं बहुत दूर रहता हूँ ।
(2)
दिन – रात खुद चमक रहा हूँ
पर तुम देख मुझे रात में पाते ,
अथाह ऊर्जा और प्रकाश मुझमें
मुझे छूने को तुम ललचाते ।
(3)
हरा रहूं तब जीवनदाता
सूखने पर भी काम मै आता ,
अपना भोजन खुद बनाऊँ
तुमको भी मैं स्वाद चखाऊँ ।
(4)
एक से दूसरी जगह तक जाऊं ,
तुम्हारे पैरों से गति पाऊं ,
कच्चा पक्का सकरा चौड़ा
हर डगर पर सैर लगाऊं
(5)
धोती एक लपेटे तन पर
लिए हाथ मे लाठी ,
नाम बताओ जिसने
चरखे से ला दी आजादी
– जय श्री सैनी ‘सायक’
उत्तर – सूर्य ,तारे ,वृक्ष ,साइकिल ,गांधी जी