बाल पके तो बूढ़े होते
बाल पके तो बूढ़े होते
समझ पके तो बड़े
घुटने घिसे तो बूढ़े होते
क्रोध घिसे तो बड़े
मोतिया उतरे तो बूढ़े होते
नजरिया उतरे तो बड़े
याददाश्त घटे तो बूढ़े होते
चिंता घटे तो बड़े
झुर्रियां आए तो बूढ़े होते
करुणा आए तो बड़े
दांत निकले तो बूढ़े होते
मोह निकले तो बड़े
कमर झुके तो बूढ़े होते
अहम झुके तो बड़े
जीवन जाए तो बूढ़े होते
लोभ जाए तो बड़े
उम्र बढ़े तो बूढ़े होते
संयम बढ़े तो बड़े
दीपाली कालरा