बाल दिवस
मन करता है
चलो आज मैं ,
फिर छोटा बच्चा बन जाऊँ
खेलूं कूदूं ,नाचूँ ,गाऊँ
उछल उछल इतराऊँ
मन करता है…
खूब हँसूं मैं
मुक्त स्वरों मेंं
धमाचौकड़ी मचाऊँ
फिर माँ दौड़ीदौडी़ आए
झूठ मूठ की डाँट लगाए
मैं पल्लू उसके छुप जाऊँ
मन करता है …..
उछल उछल कर चढूं पेड़ पर
तोड़ कच्ची इमली खाऊँ
झूलूं बरगद की शाखा पर
गिरूं अगर तो झट उठ जाऊँ
मन करता है…..
शुभा मेहता
15th Nov ,2017