बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
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मछली रहती पानी में,
दाना खाती पानी मे।
ऊपर नीचे घूमे फिरती,
पूंछ हिलाती पानी में।।
कोई बड़ी है कोई छोटी,
सबकी आँखे मोटी मोटी।
छूना चाहो जब भी इसको,
दौड़ लगाती पानी में।।
हरी गुलाबी लाल पीली,
सफेद बैंगनी भूरी नीली।
सब रंगों की रानी होती,
खूब इतराती पानी में।।
नदी तालाब इसका घर,
गाल गलफड़े हाथ है पर।
सबके मन को बहलाती है,
बुलबुले उड़ाती पानी में।।
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन