बाल कविता (बीत गई छुट्टी मनोहारी)
बाय-बाय नानी बाय-बाय दादी
ख़त्म हुयी सारी आजादी…
इतनी सुन्दर इतनी प्यारी
बीत गयी छुट्टी मनोहारी
खुल़े हैं स्कूल ख़ुशी है आधी
खत्म हुयी सारी आजादी …
तेज धूप में दौड़ लगाते
मीठे आम रसीले खाते
अब बस्तों ने नींद उड़ा दी
ख़त्म हुयी सारी आजादी…
बहुत हुयी मौजे मनमानी
अनगिनत मस्ती शैतानी
अब उमंग पढने की जागी
ख़त्म हुयी सारी आजादी …
भारती दास ✍️