कपटी को कभी न मित्र बनाओ –आर के रस्तोगी
एक बंदर जामुन के पेड़ पर रहता
सदा उसके मीठे फल खाता
उछल-कूद वह खूब मचाता
सारे जंगल में धूम मचाता
कभी इस पेड़ पर जाता
कभी उस पेड़ पर जाता
पेड़ो के मीठे फल खा जाता
औरो की ठेंगा दिखलाता
पास में एक नदी बहती
वह सबको पानी पिलाती
नदी में एक मगरमच्छ रहता
वह बंदर को देखता रहता
फलो को देख वह ललचाया
बंदर से दोस्ती का हाथ बढाया
ताकि वह रोज मीठे फल खाये
जीवन में खूब आनन्द मनाये
मगरमच्छ एक दिन बंदर से बोला
नदी से बाहर निकल कर बोला
तुम मेरे मित्र बन जाओ
मुझको भी फल खिलाओ
मै तुम्हे नदी में सैर कराऊंगा
जीवन भर तुम्हारे काम आऊंगा
बंदर ने न किया सोच विचार
मित्रता के लिये हो गया तैयार
बंदर उसको मीठे फल खिलाता
उसके साथ खूब मस्ती मनाता
जब ज्यादा मीठे फल हो जाते
मगरमच्छ उनको घर ले जाता
अपनी पत्नि को खूब खिलाता
एक दिन मगरमच्छ की पत्नि बोली
बंदर तो रोज मीठे फल खाता
उसका दिल भी तो मीठा होगा
उसके दिल को मै खाउंगी
नहीं तो मै मर जाउंगी
उसको अपने घर दावत पर बुलाओ
मगरमच्छ ने न किया सोच विचार
बंदर को बुलाने के लिये हो गया तैयार
मगरमच्छ बंदर से बोला,
तुम्हारी भाभी तुम्हे याद है करती
तुम्हारा हमेशा गुणगान है करती
तुमको उसने दावत पर बुलाया
इसलिए तुम्हारे पास मै आया
बंदर ने न किया जरा सोच विचार
वह भी हो गया दावत के लिये तैयार
बंदर बोला,मुझे तैरना नहीं आता
तुम्हारे घर मै कैसे जाऊं ?
मगरमच्छ बोला,
तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ
ऐसे करके तुम्हे घर ले जाऊ
पूरी दावत का आनन्द दिलाऊ
पर जैसे वह नदी के बीच आया
वह अपने मित्र बंदर से बोला,
तुम्हारी भाभी तुम्हे बहुत चाहती है
तुम्हारा दिल वह खाना चाहती है
बंदर बोला,दिल तो मै पेड़ पर रख आया
चलो दुबारा तुम पेड़ के पास
ताकि मै दिल लेकर आऊ
अपनी भाभी को उसे खिलाऊ
जैसे मगरमच्छ किनारे पर आया
बंदर कूद कर पेड़ पर आया
बोला,कपटी मित्र है तू मेरा
कभी विश्वास करू न तेरा
कपटी को कभी मित्र न बनाओ
उसके कहे में कभी मत आओ
आर के रस्तोगी
9971006425