सब्ज़ीवाला (बाल कवितायेँ)
(1.) मैं हूँ सब्ज़ीवाला बच्चों
मैं हूँ सब्ज़ीवाला बच्चों
तुकबन्दी कर बेचूँ सब्ज़ी
तनिक निकट आ जाओ मेरे
मत खेलो तुम दिन भर पबजी
•••
(2.) शाकाहारी
बन जाएँ यदि शाकाहारी
कोसों दूर रहे बीमारी
खाएँ बस भाजी तरकारी
ताज़ा-ताज़ा, प्यारी-प्यारी
•••
(3.) पालक
पास हमारे, आओ बालक
खूब बना है, खाओ पालक
ताकत भर दूँगा मैं तुझमें
भरपूर विटामिन हैं मुझमें
•••
(4.) तोरी
मैं हरी-हरी, नटखट छोरी
सब कहें मुझे, तू है तोरी
हर दुकान में दिख जाती हूँ
तू ख़रीद मुझे भरके बोरी
•••
(5.) भिंडी
मुझको पहचानो मित्रो,
जी भिंडी हूँ, मैं भिंडी
जग में सब खाते मुझको,
दिल्ली हो रावलपिंडी
•••
(6.) टिण्डा
बच्चे न मुझे खाते हैं
बस नाक-भों चिढ़ाते हैं
पर मैं हूँ सोना मुण्डा
कहते हैं मुझको टिण्डा
•••
(7.) घीया
अंग्रेजी में लौकी हूँ मैं,
हिन्दी में बोलें घीया
मेरे गुण अनमोल कई हैं,
जो खाए जाने भइया
•••
(8.) आलू
मोटा मटमैला पिलपिला हूँ,
कहते हैं मुझको आलू जी
हर सब्ज़ी में, दुनिया भर में
खाय मुझे लल्ली-लालू जी
•••
(9.) धनिया
हर सब्ज़ी का स्वाद बढ़ाऊँ
सबसे न्यारा मैं कहलाऊँ
फ्री में मुझको देते बनिया
कहते मुझको बच्चों धनिया
•••
(10.) सीताफल
कोई सीताफल बोले,
कोई कहता कद्दू जी
मुझको बेहद चाव से,
खाते हैं दादी–दद्दू जी
•••