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25 Feb 2021 · 1 min read

बालक की पीड़ा

बालक की पीड़ा_
माँ तुम व्यस्त रहती हो हमेशा|
हमने तुमको ऐसा ही देखा|
कभी तो बैठ के दुलारो तुम|
हमारा जीवन प्यार से संवारो तुम|
झुंझलाहट को दूर कर प्यार से समझाओ तो|
ओ माँ एक बार माँ बनकर घर आओ तो|
कैसा है तुम्हारा अधिकारी,
जो गई है उसकी मति मारी,
क्यों अपने उलझे व्यवहार से
दूर कर रहा एक बालक से
उसकी प्यारी महतारी|
डा पूनम श्रीवास्तव वाणी

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 248 Views
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