बालकविता” गौरैया”
गौरैया दिवस पर प्रस्तुत है 🙏
एक चिठ्ठी मानव व भगवान के नाम
छूट गये सब घर चौबारे।
गौरैया नित शब्द उचारे।।
बींध दिया मानुष ने आंगन,
बंद हुए सब घर ओ द्वारे।
कंकरीट का जंगल है सब।
भूल गया है मेरा ही रब।।
कैसे हमको नीड़ मिलेगा,
पूछ रही है गौरैया अब।
वन उपवन के पेड़ उखाड़े।
नहीं दिखायी देते बाड़े।।
किसको अपना पीर दिखाऊं,
मेरे सारे नीड़ उजाड़े।।
हद से गुजर गया मानव अब।
मेरा रूंठ गया मानो रब।
पूछ रही यह फिर गौरैया,
छूटा प्यार मिलेगा फिर कब।
???????????????????
आपकी प्रिय
गौरैया
(सर्वाधिकार सुरक्षित
@अटल मुरादाबादी)