यादों की बारिश
याद तो उसकी बहुत आती है,
पर कुछ मजबूरी आड़े आती है,
बहुत कुछ कहना चाहे दिल,
पर एक दूरी साथ आती है
माना कि वो समझ लेता सब कुछ,
पर कह देने से इक राहत आती है…,
क्या कहे क्या न् कहे ,
ये तोड़ के बंधन ,
बस जज़्बात की आंधी आती है,
कहते हैं जिस्मों से भी क्या मिलना..,
पर उसकी खुशबू से न जाने क्यों?
कैसी ये आवारगी आती हैं?
छु कर भी छु नही सकते
फिर भी मिल सकूँ उनसे
चाहत की ऐसी बारिश आती है।
पूनम समर्थ (आगाज ये दिल)