बारिश
बारिश
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बारिश से यही गुज़ारिश है।
तुम वक्त-वक्त पर आया करो।
आने से तेरे ख़ुशहाल ज़िन्दगी।
तुम खुशहाली बरसाया करो।
मेरे खेत देखते-तक़ते राह तेरी।
तुम उनको ना यूं तरसाया करो
मेरी खेती जल बिन सूखी पड़ी
तुम इन्हे सींच लहलाया करो।
मेरी रोजी रोटी इन्ही से है।
इनमे सोना तुम बरसाया करो।
मन की सोच जो बंजर हो।
उसे अंकुरित कर जाया करो
जब अति गर्वित मैं हो जांऊ।
मुझको आकर समझाया करो
कभी भीष्ण ताप से तप जांऊ
शीतल जल से नहलाया करो।
बारिश से यही गुज़ारिश है।
तुम वक्त-वक्त पर आया करो
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड