बारिश तुम्हें आना होगा
सूखती जा रही हैं
उम्मीदें
सूखती जा रही हैं
फसलें
सूखती जा रही हैं
कोपलें
सूखता जा रहा है
मन
सूखते जा रहे हैं
भरोसे
सूखते जा रहे हैं
रास्ते, गांव
सूखते जा रहे हैं
बच्चों के चेहरे
सूखते जा रहे हैं
बुलबुले पिछली बारिश के
सूखते जा रहे हैं
कुएं और उसके कंठ
…तुम्हें आना ही होगा बारिश
इन सभी को अहसास दिलाने
बारिश सच में होती है।
संदीप कुमार शर्मा