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31 May 2021 · 1 min read

बारिश की बौछार

बारिश की बूंदे जब
धरती से मिल जाती हैं
तवे सी गर्म धरती पर तब
सुकून की बौछार हो जाती हैं।
सूखे पत्तों में भी
हरियाली सी छा जाती है।
लहर उठते खेत खलिहान भी
इस बारिश की बौछार से।
स्वागत करते मोर भी
फैलाकर पंख और नाच से।
मेंढक की टरटर से
गुंज उठता माहौल है।
बारिश की रिमझिम से
महक उठता सारा जहान।
इंसान भी इस मौसम में
करने लगते पकोड़े भुट्टो के गुणगान।
जब सूखी घास मिट्टी पर
पड़ती रिमझिम की बौछार है,
तब उसकी खुशबू से हमें हो जाते
महसूस तीर्थ चारों धाम है।
पानी भरा देखकर बच्चे पूरे खुश हो जाते
और नाव को अपनी वह तैराते।
– श्रीयांश गुप्ता

8 Likes · 4 Comments · 1296 Views

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