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19 May 2021 · 1 min read

बारिश की बूंदे (बरसात)

रिमझिम फुहार पड़ी
बूंदों की लगी झड़ी
नयन हुए रतनारे
गालों पर लाली चढ़ी।

वृक्षों के पात फूल
बरखा में नहाए हैं
मानों सजधज के
मिलने को आए है
फूलों पर बूंद ज्यों
मौक्तिकों की कनक लड़ी।।

सौंधी गंध माटी की
उतरने लगी सांस में
मनवा मचलने लगा
साजन की आस में
बदले सब हाव-भाव
बदल रही मन की कड़ी।

पल पल गुल-आनन पर
भाव नव मुखर रहे
इंद्र धनुषी रंगों से
कण कण निखर रहे
हरियाले सावन सी
प्रकृति नव आभा जड़ी।।

4 Likes · 5 Comments · 400 Views
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