बारिश की बूंदें
बारिश की बूँदों में अपनी पहली मुलाक़ात याद आई,
दिल से दिल मिले जिसमें फिर वो बरसात याद आई।
वो कुछ पल की मुलाक़ात हमारे दिलों को धड़का गई,
बरसात में भी प्यार के शोले हमारे दिलों में भड़का गई।
उस मुलाकात के बाद दिल की बैचैनी हमारी बढ़ती गई,
प्यार की पिंग हमारी ख्वाबों के आसमान में चढ़ती गई।
धीरे धीरे हमारे प्यार के चर्चे लोगों की जुबाँ पर आ गये,
हीर रांझा, लैला मजनू के जैसे हम भी शहर में छा गये।
फिर जिंदगी में वो दिन आया जब प्यार का ईनाम मिला,
घर वालों की तरफ से हमें अपनी शादी का पैगाम मिला।
मेरे आँगन में खुशियों की बहार छा गयी तुम्हारे आने से,
सारी हसरतें पूरी हुई दिल की “सुलक्षणा” तुम्हें पाने से।
©® डॉ सुलक्षणा