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2 Jun 2023 · 1 min read

बारिश का पानी

बारिश का पानी

बिना रंग रूप कितना अकड़ती
संसार की तीन भाग पे रहती
यूंही ही नहीं तू राज करती
प्यास बूझा कर प्राण लाती ।

नदियों को मधो मस्त करती
पोखर में तू संचित होती
नहर मे बहने का संकोच नहीं
कुआं का तू है आश
बची रहती तो धरती मे रहती
बाकी तू बादल में समाही ।

दे सद्बुद्धि सब को तू
जो करें बर्बाद तुझे
पेड़ – पौधे की शान तू
बंजर भू की जान तू ।

रंग भेद ना देखे तू
इंद्र का वरदान पाई जो
नीर , तोय और पानी
जाने तेरे कितने नाम ?

गंगा मां से पहचान तुम्हारी
शर्बत पीकर सब आह करता
आग को है डर तुझसे
मिनरल का खज़ाना तुझमें ।।

गौतम साव

Language: Hindi
245 Views
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