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23 Jun 2019 · 1 min read

बारिश और मन की यादें

बारिश की बूंदे ज्यों-ज्यों ,तन को भींंगा रहीं थीं।
अंतर्मन में उसकी याँदे,अपनी कसक जगा रहीं थीं।।

मैंने पूछा, रे मन! तू बाँवला हो गया क्या?
जों बचपन की यादों, सा उछल-कूद कर रहा हैं।।

उम्र हों गई पचपन,सोलहवें साल को जीना चाहता हैं।
हँसती खेलती जिंदगी में, फिर, आग लगाना चाहता हैं।।

वो बोला- कि, मैं तो आज भीं बच्चा हूँ।
मेरी कोई उम्र नहीं, मन हूँ ,आज भीं सच्चा हूँ।।

बाहर देखा, बारिश भीं यहीं शोर कर रहीं थीं
बूँदो संग, पवन और रज़ को अपनी ओर रहीं थीं

हमनें भीं उसकी यादों का, फिर सबेरा कर लिया।
बैठ गए सभी के बीच, आसपास बचपन का घेरा कर लिया।।

रेखा कापसे
होशंगाबाद (म.प्र.)

Language: Hindi
2 Likes · 457 Views
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