बारिश आयी
बारिश आयी ©
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बारिश आयी,बारिश आयी
देखो कितनी,बुँदे संग लायी
घने-काले, बादल संग आयी
नभ में बिजली भी,चमके भाई |
गर्मी को दूर, भगाने आयी
बैचेनी को, ये मिटाने आयी
ठंडी सी कुछ,लहर हैं लायी
मन को खुश,करने आयी |
झर-झर बूँदे,बरस रही हैं
सर-सर हवा ये,बह रही हैं
डालियाँ हिलोरे, खा रही हैं
फूँवारों के झोंके,आ रहे हैं |
सूखी धरती में,फिर जान आयी
पेड़ पौधों में,खुशहाली लायी
देखो चारों ओर,हरियाली छायी
लोगों में हैं फिर, ताज़गी आयी |
कोयल ने फिर ,कूक सुनाई
पपीहे ने भी, पीप हैं गायी
भवंरों ने भी, गूंज गुंजायी
लोगों ने भी आज ,रागनी गायी |
आज मन में,उमंग जगी हैं
सपने भी ले, संग चली हैं
नाच-गान की,आस जगी हैं
मन में ख़ुशी,अनंत सजी हैं |
बारिश आयी, बारिश आयी
देखो कितनी,बुँदे संग लायी |
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स्वरचित एवं
मौलिक कविता
लेखिका:-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेखन की तिथि :-15 जून 2021
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