बाबा साहब आम्बेडकर
जन्म लिया जाति महार में,
विघ्नों को सजाया गले कि हार में,
कुछ कर जाने की भूख थी,
छुआछूत कुरीति उनके सम्मुख थी |
रुकना कहाँ लिखा था उनके तकदीर में?
ना कोई उन्हें रोक पाया संघर्षों की भीड़ में,
हर काम समाज के लिए किया,
हर साँस समाज के लिए लिया,
संघर्षो की चक्रव्युह में चल पड़े
वे अर्जुन की तरह,
हर बाधा-विघ्नों को काट-काट
दलितों को लिए साथ-साथ,
छेड़ी आंदोलन समता की
जीत आंदोलन में तय थी उनकी ।
संविधान बनाकर कर दिया उन्होंने
एक गणतंत्र देश का एलान
आओ झुककर दे उन्हें
उनके हिस्से का सम्मान ||