बाबा विश्वनाथ की नगरी: वाराणसी
जन्म-मृत्यु लोक-परलोक का होता है जहाँ विचार
पतितपावनी हैं गंगा की धार
भगवान विश्वनाथ का है दरबार
जगत्प्रसिद्ध पौराणिक शिव की नगरी
बहती है भागीरथी, धनुषाकार
पवित्र सप्तपुरियों वाली ज्ञान दीपों की है राजनगरी
धार्मिक राजधानी मंदिरों का है शहर
जहाँ गंगा में समाती हैं वरुणा और असी
उसी बीच बसी
सँकरी गलियो वाली वाराणसी
हरिवंशपुराण के अनुसार
भरतवंशी राजा ‘काश’ ने बसाया काशी का संसार
काशी-बनारस के घाटों की
छटा है मनोरम
गंगा तट के अद्भुत हैं घाट
हैं प्रसिद्ध-
दशाश्वमेध, मणिकार्णिंका, हरिश्चंद्र, और तुलसीघाट
शिवाला और अहिल्या घाट की अपनी अलग है शान
निरंतर जलते शवाग्नि मोक्ष द्वार का है यह बाट
प्रकृतिविज्ञान से बने हैं मणिकार्णिंका घाट
काशी के कोतवाल
काल भैरव से भेंट न हुई ठीक तरह पूरी
तो समझो
बाबा विश्वनाथ की पूजा रह गई अधूरी
अलग-अलग रंगों की चादर में लिपटा
बनारस है सांस्कृतिक और प्राचीन नगर संसार
हर गली की है अपनी पहचान
मीठे से लेकर तीखे हर तरह के हैं खान-पान
यहाँ मिलता अजब गजब के स्वादिष्ट पकवान
कही गुलकंद वाला बनारसी पान
तो कचौड़ी गली की फ्लेवर वाली लस्सी की दुकान
बनारसी चाट जो भी खाएं
वो दौड़ दौड़ कर फिर काशी आएं
गदौलिया गली की रबड़ी एवं दूध मलाई
और
गरमागरम चूड़ा-मटर देखते ही जी ललचाएं
मिट्टी की सोंधी-सोंधी खुशबू वाली
और गरमागरम कुल्हड़ में चाय
पीते ही सब दुख-दर्द दूर हो जाएँ ।।
प्रस्तुति:
पवन ठाकुर “बमबम”
गुरुग्राम
दिनांक- 13.12.2020