बाबा भक्त (हास्य कटाक्ष)
बाबा-एं हौ भोंट लमनेशन काल ई पंचायती नेता सब एतेक चमकीवला माला किए? पहिरने रहै छै?
भक्त- देखावटी लै जे हम बड्ड काजुल नेता आ झूठे उदघोष?
बाबा- आ रे छागर घास खो, कटहर पता आनि दै छियौ, सेहो खो?
भक्त- एतेक मानदान? की सतम्मी दिन बैइल चढबै के फिराक मे छि की?
भक्त- यौ बाबा आब त कहाँदिन आब WWE मे सेहो मैथिली कवि सम्मेलन?
बाबा-भने दर्शक मे स आबि ग्रेट खली,केन,रोमन रेंज सब ओंघरा के पठकतह तब बूझिहक मजा?
बाबा-एं हौ मैथिली मे किताब कम बिकाइ छै आ पुरस्कार बंटाइ छै बेसी?
भक्त-एहि दिखावटी भवडाह दुआरे त नोबेल पुरूस्कार वला सब मैथिली के कल जोड़ि लेलक की?
भक्त- हयौ बाबा 2/4 ठाम मैथिली साहित्य गोष्टी भऽ रहलै अंहू जाउ कथा पढब?
बाबा- धू जी पहिने इ कहअ ने ओइ मे 2/4 टा दर्शको रहै की अगबे साहित्यकारे सब टा?
भक्त- बाबा हौ बाबा की लिखलह कपाड़ मे? चीजो बौस ने आब भेटैए उधार मे?
बाबा- कमाई खटाई बेर गपास्टींग छांटत? आ हमहीं कपाड़ लिखी देलियै अनहार मे?
बाबा- उजरा दारही वला टिका. कोविड छूमंतर..
भक्त- हं रोजगार सेहो सुडाह. बेरोजगारीयो मे वाह वाह.
बाबा- मिथिलाक लोक मैथिली पत्र पत्रिका किनब आ विज्ञापन देब बेबहारिक रूपे शुरू नै करतै?
भक्त- हं हं तैं मंगनिए मे मैथिली दैनिक आ चैनल निशचित रूपे तकतै की आ हो हो जे डी डी मिथिला?
बाबा- ओलंपिक मे दाढ़ि बढ़ाओ प्रतियोगिता रहितै तब?
भक्त- तब त चर्चित खिलाड़ि फेकेन्द्र दाढ़ी वला देशक लेल दोसर गोल्ड मेडल जरूर जीततै?
© किशन कारीगर